Friday, Jan 10, 2025

ग्वालियर की सुरभि, रोशनी व गायत्री ने की भगवान शिव से शादी

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gwalior

2023, 08 Jul


ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में देशभर की 450 युवतियों के साथ ग्वालियर की भी तीन बेटियों ने भगवान शिव से विवाह किया। 
एशिया के सबसे बड़े सभागार में आयोजित इस अनूठे विवाह के बाद देश की साढ़े चार सौ युवतियों के साथ ग्वालियर की बीके सुरभि, बीके रोशनी व बीके गायत्री भी सदा के लिए ईश्वरीय सेवा में समर्पित हो गईं। यहां बता दें कि ब्रह्माकुमारी के स्थापना वर्ष 1937 से लेकर अब तक 50 हजार से अधिक बहिनें इस तरह भगवान से विवाह कर समाज को समर्पित हो चुकी हैं। ब्रह्माकुमारी मुख्यालय में साल में एक बार ऐसा समारोह होता है। इसके अलावा देश के अलग अलग केंद्रों पर भी ऐसे आयोजन होते रहते हैं।
भगवान शिव से विवाह कर ईश्वरीय कार्य के लिए खुद को समर्पित करने वाली बीके सुरभि और बीके रोशनी वैसे तो सागर जिला की व बीके गायत्री महोवा जिला की रहने वाली हैं, लेकिन कई वर्षों से ग्वालियर के ब्रह्माकुमारी केंद्र पर रहकर ही सेवा कार्य कर रही थीं। इनके साथ विवाह करने वाली अन्य युवतियां समाज के विभिन्न क्षेत्रों से थीं, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका आदि ने भगवान से विवाह किया। 
इस अनूठे विवाह में देशभर के 15 हजार बाराती शामिल हुए। इस अवसर पर बेटियों के पिताओं की प्रतिक्रिया भी भावुक करने वाली रही। उनका कहना था कि हम भाग्यशाली हैं कि आज हमारी बेटी समाज कल्याण के लिए संयम का मार्ग अपना रही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन मेरी बेटी अब विश्व कल्याण के लिए जिएगी।
एशिया के सबसे बड़े हॉल में समारोह
समर्पण समारोह एशिया महादीप के सबसे बड़े बिना पिलर के डायमंड हॉल में आयोजित किया गया। यह हॉल एक लाख वर्गफीट में बना हुआ है। समारोह के लिए खासतौर पर सौ फीट लंबी और 40 फीट चौड़ी स्टेज तैयार की गई। इसमें समर्पित होने वालीं वरिष्ठ बहनों को स्टेज पर बैठाया गया, वहीं छोटी बहनों को सामने बैठाया गया।
5 साल सेवाकेंद्र पर रहने पर चयन
राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाईडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं।
 





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