Friday, Jan 10, 2025

नेतापुत्र रामू, तुषमुल, सुकर्ण, पीतू, राकेश विधायकी की दावेदारी में टाप पर

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politics

2023, 21 Feb

ग्वालियर। ग्वालियर चंबल संभाग में इस बार विधानसभा चुनावों में 5 नेतापुत्र भाजपा विधायकी की उम्मीदवारी के लिये प्रयास में लगेंगे। हालांकि इन पाचों नेतापुत्रों ने अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार पार्टी का कार्य करके कार्यकर्ताओं में अपनी जगह बना ली है और पांचों नेतापुत्र लगातार अभी भी पार्टी और अन्य पंचों पर अपने काम में जुटे हैं। इन नेतापुत्रों में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर रामू, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के पुत्र तुषमुल झा, गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के पुत्र डा. सुकर्ण  मिश्रा, पूर्व मंत्री माया सिंह के पुत्र पीताम्बर सिंह पीतू और पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह के पुत्र राकेश सिंह शामिल हैं। यह सभी नेतापुत्र अपी परंपरागत सीटों के अलावा उनके आसपास जुड़ी सीटों पर भी उम्मीदवारी के लिये जोड़तोड़ में लगेंगे।
देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर रामू - ग्वालियर या ग्रामीण सीट
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के बड़े पुत्र देवेन्द्र प्रताप सिंह तोमर रामू भी राजनीति में उतरने के लिये ककहरा सीख चुके है। वह ग्वालियर में कई बड़े आयोजन कर अपनी पहचान बना चुके है और कार्यकर्ताओं में सीधे तौर पर संपर्क कर अपनी लोकप्रियता बढ़ा चुके हैं। वह विभिन्न संगठनों से भी जुड़े है। रामू इस बार अपने पिता की परंपरागत सीट 15 ग्वालियर से चुनाव लड़ने की तैयारी में है, बशर्तें उन्हें टिकट मिला तो वह चुनावी मैदान से पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि 15 ग्वालियर से यदि पूर्व मंत्री जयभान सिंह मैदान में उतरे तो रामू को ग्रामीण विधानसभा की उम्मीदवारी भी मिल सकती हैं। वैसे रामू आजकल युवाओं में ग्वालियर अंचल का बेहद लोकप्रिय चेहरा बन चुके हैं और उनके पास समर्थकों की टीम भी हैं।
तुषमुल झा - दक्षिण पर निगाह
एक नेतापुत्र हैं तुषमुल, जो भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के बड़े पुत्र है। तुषमुल भी अपने पिता प्रभात झा की तरह संगठन के साथ आगे बढ़े हैं। वह भी युवाओं में लोकप्रिय है और कई आयोजन कर कार्यकर्ताओं में अपनी पहचान स्थापित कर चुके हैं। तुषमुल अपने जन्मदिवस पर 17 जनवरी को विशाल सुंदरकांड का आयोजन कर 20 हजार लोगों का भंडारा भी कर रहे हैं।
तुषमुल की निगाह भी दक्षिण पर हैं। वह इस बार दक्षिण से भाजपा टिकट के लिये पूरा जोर लगाने के लिये दमखम से मैदान में जुटेंगे। हालांकि दक्षिण में इस बार विहिप व बजरंग दल के पप्पू वर्मा भी बैंक की नौकरी छोड़ कर टिकट के लिये दावेदारी में लगे है, वहीं पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह भी अपने टिकट के लिये भाजपा में जोर लगायेंगे। वैसे तुषमुल झा भी ने दक्षिण में प्रत्येक भाजपाई से अपने सीधे संबंध प्रगाढ़ करने में काफी सफलता हासिल कर ली है। 
सुकर्ण की निगाह भितरवार पर
गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा के पुत्र डा. सुकर्ण मिश्रा भी पिता की तर्ज पर राजनीति में अपनी जमाहट करने के लिये लगातार कार्यकर्ताओं के बीच रहते है। उन्होंने वैसे दतिया में अपने पिता की राजनैतिक विरासत सम्हाले हुये हैं। दतिया में प्रत्येक कार्यक्रम आना जाना व अनेक आयोजन कर उन्होंने राजनीति में अपनी पकड़ बना ली हैं। अब उनके सामने दो विकल्प हो सकते हैं। यदि पिता कहीं से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे तो वह दतिया से चुनाव लड़ सकते हैं, नहीं तो सुकर्ण डबरा से लगी भितरवार सीट से भी भाजपा टिकट की दावेदारी कर सकते है। भितरवार में चूंकि भाजपा को भी बड़ा नाम चाहिये इसलिये सुकर्ण उम्मीदवारी हासिल कर ले तो आश्चर्य नहीं होगा। वैसे यहां भाजपा नेता अशोक पटसारिया, बृजेन्द्र तिवारी भी टिकट के लिये कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। 
पीतू की निगाह पूर्व की दावेदारी पर
पूर्व मंत्री माया सिंह और ध्यानेन्द्र सिंह के पुत्र पीतांबर सिंह पीतू भी इस बार चुनावी समर में उतरने के लिये तैयारी किये बैठे है। चूंकि उनकी माताश्री माया सिंह पूर्व विधानसभा क्षेत्र की विधायक रही है और अभी यहां कांग्रेस का कब्जा हैं इसीलिये पीतू पर भी भाजपा नेताओं का फोकस हैं। पीतू को भाजपा पूर्व में कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार के सामने उतार सकती हैं। वैसे पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा भी पूर्व की तैयारी में लगे हैं।
मुरैना से दावेदारी की तैयारी में राकेश रूस्तम सिंह
मुरैना जिले की मुरैना विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। इसी कारण भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री राकेश रूस्तम सिंह नये चेहरे में टिकट पा सकते हैं। उनके पिता पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह यहां पिछली बार चुनाव हार गये थे। इसी कारण भाजपा का एक वर्ग भी राकेश सिंह की उम्मीदवारी चाहता हैं। हालांकि पूर्व मंत्री रूस्तम सिंह भाजपा का टिकट मिलने पर स्वयं भी मैदान में उतर सकते हैं। राकेश रूस्तम सिंह ने अपने पिता की विधायकी व मंत्री रहने के दौरान क्षेत्र में व्यापक कार्य के आधार पर अपना व्यापक नेटवर्क भी तैयर कर लिया हैं। 
कुल मिलाकर यह पांचों नेतापुत्र विधानसभा में एंट्री के लिये कोई भी कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं और पार्टी के भी व्यापक स्तर पर काम में पीछे नहीं हट रहे। 

 





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